डॉ. बी.आर. अम्बेडकर: भारतीय संविधान निर्माता और सामाजिक सुधारक।

Image
           डॉ. भीमराव अम्बेडकर भारतीय इतिहास में एक महान व्यक्तित्व हैं। उन्हें 'भारतीय संविधान निर्माता' के रूप में याद किया जाता है क्योंकि उन्होंने भारतीय संविधान का निर्माण किया और उसमें समाज के सभी वर्गों के अधिकारों को समाहित किया। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू नामक स्थान(गांव)पर हुआ था। डॉ. अम्बेडकर के जीवन का प्रारंभिक काल बहुत ही कठिन था। वे एक दलित परिवार से थे और उन्हें समाज में अपरिहार्य विभाजन का सामना करना पड़ा था। लेकिन उनकी मेहनत, जिज्ञासा और उत्कृष्टता ने उन्हें एक उच्च शिक्षा प्राप्त करने की संभावना दी। उन्होंने विद्यालय में अध्ययन किया, फिर विदेश गए और वहां से विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपनी शिक्षा में बहुत मेहनत की और अपने ज्ञान का विस्तार किया। डॉ. अम्बेडकर की अहम योगदानों में से एक उनका योगदान भारतीय संविधान के निर्माण में है। उन्होंने संविधान(प्रारूप)समिति के अध्यक्ष के रूप में काम किया और भारतीय संविधान को अंतिम रूप दिया। उनके द्वारा संविधान में गरीबी की समाप्ति, सामाजिक समानता, धर्मनिरपेक्षता और मानवाध

श्रावण मास एक पवित्र मास।

श्रावण मास का महत्व एवं महत्वपूर्ण पर्व।


प्रारंभिक जानकारी:

भारतीय हिंदू पंचांग में श्रावण मास वर्ष का पांचवा महीना माना जाता है और यह चंद्रमा के आधार पर निर्धारित किया जाता है। यह मास ग्रीष्म ऋतु के अंत में आता है और वर्षा ऋतु के प्रारम्भ को संकेत करता है। श्रावण मास को हिंदू धर्म में विशेष मायने रखा जाता है और इसे धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोन से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस लेख में, हम श्रावण मास के महत्व, पर्वों, रीति-रिवाज और उत्सवों के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे।

श्रावण मास की शुभकामनाए।


श्रावण मास का महत्व:

श्रावण मास को हिंदू पंचांग में विशेष महत्व दिया जाता है क्योंकि इस महीने में कई महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार आते हैं और इसे भगवान शिव का मास भी माना जाता है। इस मास में व्रत, पूजा, ध्यान, तप, दान और कई धार्मिक कार्यक्रम किए जाते हैं, जिससे व्यक्ति का आध्यात्मिक और भावनात्मक उन्नति होती है। इसी कारण से श्रावण मास को शिव भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। श्रावण मास के पावन त्योहार और उत्सव मानवता में धार्मिक और सामाजिक एकता का संदेश देते हैं और लोगों को एक-दूसरे के साथ भाईचारे के भाव से जुड़ने का अवसर प्रदान करते हैं।

श्रावण मास के पर्व और उत्सव:

हरियाली तीज:

हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। इस दिन विवाहित महिलाएं और कन्याएं हरियाली वस्त्र धारण करती हैं और शिव-पार्वती की भक्ति करती हैं। इसे सजी धूमधाम से मनाया जाता है और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हरियाली तीज को व्रत, पूजा, सजावट, गाने-भजने और मिठाई बनाने का विशेष महत्व है। यह त्योहार महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है और इसे खुशी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।


श्रावण सोमवार:

श्रावण मास के सोमवार को भगवान शिव के विशेष दिन के रूप में माना जाता है। श्रावण सोमवार को महिलाएं और पुरुष दोनों ही भगवान शिव की पूजा और व्रत रखते हैं। इस दिन शिवलिंग को जल, धूप, बिल्वपत्र, धान्य, फूल और दूध से सजाकर पूजा की जाती है और व्रती लोग उपवास करते हैं। यह दिन भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष रूप से पुण्यकारी माना जाता है और इसे भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्ति का अवसर समझा जाता है।

रक्षा बंधन:

रक्षा बंधन श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का उत्सव मनाया जाता है और भगवान शिव और पार्वती की कथा सुनाई जाती है। रक्षा बंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई बहन एक-दूसरे को वरदान देते हैं। इसे प्रेम और समर्थन का प्रतीक माना जाता है और यह भाई-बहन के आपसी प्रेम को दर्शाता है।


श्रावण मास के धार्मिक आयोजन:

श्रावण मास में कई धार्मिक आयोजन किए जाते हैं, जिनमें से कुछ मुख्य आयोजन हैं:


कावड़ यात्रा:

कावड़ यात्रा श्रावण मास में भगवान शिव के भक्तों द्वारा किया जाने वाला धार्मिक आयोजन है। इसमें भगवान शिव के भक्त अपने कंधों पर कावड़ लेकर जल की ढारा से गंगा जी का जल लेने के लिए यात्रा करते हैं। इस यात्रा को कावड़ यात्रा के नाम से जाना जाता है और इसे भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का सूचक माना जाता है। यह यात्रा भारत के विभिन्न प्रांतों में धार्मिक उत्सव के रूप में मनाई जाती है और लाखों शिव भक्त इसमें भाग लेते हैं।



श्रावण सोमवार स्पेशल भजन संध्याएं:

श्रावण मास के सोमवार को भगवान शिव के विशेष दिन के रूप में भजन संध्याएं आयोजित की जाती हैं। इस दिन मंदिरों में विशेष भजन संध्याएं आयोजित की जाती हैं और भगवान शिव के भजनों के साथ ही भक्तगण उत्साह से इसे मनाते हैं। भजन संध्याएं श्रावण मास में विशेष रूप से आयोजित की जाती हैं और लोग उस उत्सव में भाग लेते हैं और भगवान शिव के भजन सुनकर अपने मन को शांत करते हैं।


श्रावण मास के पावन व्रत:

श्रावण मास में व्रत रखना धार्मिक आचारों में से एक महत्वपूर्ण क्रिया है। इस मास में विभिन्न प्रकार के व्रत रखे जाते हैं, जो शिव, विष्णु, देवी-देवताओं की पूजा और उपासना से संबंधित होते हैं। श्रावण मास में व्रत रखने से व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति, धैर्य, शक्ति, स्वस्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है। कुछ प्रमुख श्रावण मास के पावन व्रत हैं:

सावन सोमवार व्रत:

श्रावण मास के सोमवार को सावन सोमवार व्रत के रूप में विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करते हुए व्रती लोग उपवास करते हैं और शिवलिंग को जल, बिल्वपत्र, धान्य, फूल और दूध से सजाकर उनकी पूजा करते हैं। यह व्रत भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है और इसे उनके धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए बढ़ावा दिया जाता है।

श्रावण शुक्रवार व्रत:

श्रावण मास के शुक्रवार को श्रावण शुक्रवार व्रत के रूप में महिलाएं और पुरुष दोनों ही भगवान शिव की पूजा और व्रत रखते हैं। इस दिन शिवलिंग को जल, धूप, बिल्वपत्र, धान्य, फूल और दूध से सजाकर पूजा की जाती है और व्रती लोग उपवास करते हैं। यह व्रत भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है और इसे उनके धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए बढ़ावा दिया जाता है।


श्रावण मास के महत्वपूर्ण त्योहार और उत्सव:

श्रावण मास में कई महत्वपूर्ण त्योहार और उत्सव मनाए जाते हैं, जो हिंदू धर्म में धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। कुछ महत्वपूर्ण श्रावण मास के त्योहार हैं:

नाग पंचमी:

नाग पंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के भक्त वासुकि नाग की पूजा और अर्चना की जाती है। भगवान शिव के साथ ही नागों की भी पूजा की जाती है, जिन्हें हिंदू धर्म में भगवान शिव के भक्त और गाण्डकिंग साधुओं के रूप में जाना जाता है। नाग पंचमी के दिन विशेष रूप से नाग मूर्तियों की पूजा, धार्मिक कथाएं सुनने और व्रत रखने का प्रचलन होता है।

कृष्ण जन्माष्टमी:

कृष्ण जन्माष्टमी श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की आषाढ़ी नवमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है और भगवान कृष्ण की पूजा, भजन-कीर्तन, रासलीला और धार्मिक कथाएं सुनाई जाती हैं। इस दिन मंदिरों में विशेष भजन संध्याएं आयोजित की जाती हैं और लोग उत्साह और भक्ति भाव से इसे मनाते हैं।


श्रावण मास के धार्मिक रीति-रिवाज:

श्रावण मास में धार्मिक रीति-रिवाज काफी अलग और विशेष होते हैं। इस मास में भगवान शिव की पूजा, भजन-कीर्तन, आरती, संत संगति, संतोषी माता की पूजा, गायत्री मंत्र का जाप और सज्जन तोला आदि किये जाते हैं। श्रावण मास में मंदिरों में भगवान शिव के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और भक्तगण भगवान के भजन गाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


श्रावण मास के सांस्कृतिक गाने-भजन:

श्रावण मास में भगवान शिव के भजन, धार्मिक गाने और आरतियों का सबसे अधिक प्रचलन होता है। इस मास में भक्तगण भगवान शिव के नाम और गुणगान करते हुए उनके भजन गाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसमें कई रूपये के श्रावण मास के सांस्कृतिक गाने, भजन और आरतियाँ होती हैं, जिन्हें भगवान शिव के भक्तगण उत्साह से सुनते हैं और इसके द्वारा उनकी भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


 श्रावण मास का महत्वपूर्ण संदेश:

श्रावण मास हिंदू धर्म के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोन से विशेष महत्वपूर्ण होता है। इस मास में भगवान शिव के भक्तों को अपने धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए उत्साहित किया जाता है और इसे भगवान शिव के भक्ति और समर्थन का प्रतीक माना जाता है। श्रावण मास में मनाए जाने वाले त्योहार और उत्सव मानवता में धार्मिक और सामाजिक एकता का संदेश देते हैं और लोगों को एक-दूसरे के साथ भाईचारे के भाव से जुड़ने का अवसर प्रदान करते हैं।


संक्षिप्त परिचय:

श्रावण मास हिंदू धर्म में एक पावन महीना है, जो भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। इस मास में भगवान शिव की पूजा, व्रत, भजन-कीर्तन और संत संगति के द्वारा उनके भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर मिलता है। श्रावण मास के त्योहार और उत्सव मानवता में समरसता, भक्ति और दया का संदेश देते हैं और लोगों को एक-दूसरे के साथ प्रेम और समर्थन के साथ रहने का संदेश देते हैं। श्रावण मास के इन सभी धार्मिक आयोजन और उत्सवों के माध्यम से भगवान शिव के भक्तों को संतुष्टि, शांति और शक्ति मिलती है, जो उन्हें अपने जीवन को सफलता और सुख से भर देती है। श्रावण मास का महत्वपूर्ण संदेश है कि हमें धर्म, संस्कृति और समरसता को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए और भगवान शिव के भक्ति और समर्थन के साथ हम सभी को एक-दूसरे के साथ एक भाईचारे भाव से रहना चाहिए। श्रावण मास के इन उत्सवों को मनाने से हम अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं और भगवान शिव के आशीर्वाद से हमारे जीवन में समृद्धि, शांति और सुख की प्राप्ति हो सकती है। इसलिए हम सभी को श्रावण मास के धार्मिक आयोजनों का समर्थन करना चाहिए और भगवान शिव के भक्ति में लग जाना चाहिए।

श्रावण मास की शुभकामनाएं।

कृपया ध्यान दें :

 यह लेख श्रावण मास के धार्मिक उत्सवों, परंपराओं और भक्ति से संबंधित है और यह केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इस लेख में दी गई किसी भी धार्मिक या सामाजिक विश्वविद्यालय, संस्थान, व्यक्ति या संस्था से किसी भी विशेष धार्मिक परंपरा या अभिप्रेति का समर्थन या विरोध नहीं किया गया है।






Comments

Popular posts from this blog

रक्षाबंधन - भाई-बहन के प्यार और बंधन का उत्सव।

भारतीय रेलवे: विकास और सेवाएं।

सुंदर पिचाई: आधुनिक टेक्नोलॉजी का महा नायक।