भगत सिंह: स्वतंत्रता संग्राम का अमर नायक।

Image
 भगत सिंह: स्वतंत्रता संग्राम का अमर नायक। भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख और क्रांतिकारी योद्धा थे। उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर (अब पाकिस्तान में) स्थित बंगा गाँव में हुआ था। भगत सिंह के परिवार का माहौल भी क्रांतिकारी था, जहाँ उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। इस वातावरण ने भगत सिंह के विचारों और जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। भगत सिंह का बचपन: भगत सिंह, जिन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख क्रांतिकारियों में गिना जाता है, का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गाँव (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। उनका परिवार एक सिख जाट परिवार था, जो पहले से ही देश की आजादी के लिए संघर्षरत था। भगत सिंह के पिता, किशन सिंह, और चाचा, अजीत सिंह, स्वतंत्रता सेनानी थे और अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे। ऐसे परिवार में जन्म लेने के कारण भगत सिंह का झुकाव भी बचपन से ही देशभक्ति की ओर हो गया। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: भगत सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लाहौर के डी.ए.वी. कॉलेज से की, जहाँ उन्हों...

डॉ. बी.आर. अम्बेडकर: भारतीय संविधान निर्माता और सामाजिक सुधारक।

           डॉ. भीमराव अम्बेडकर भारतीय इतिहास में एक महान व्यक्तित्व हैं। उन्हें 'भारतीय संविधान निर्माता' के रूप में याद किया जाता है क्योंकि उन्होंने भारतीय संविधान का निर्माण किया और उसमें समाज के सभी वर्गों के अधिकारों को समाहित किया। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू नामक स्थान(गांव)पर हुआ था।

Dr.B R Ambedkar


डॉ. अम्बेडकर के जीवन का प्रारंभिक काल बहुत ही कठिन था। वे एक दलित परिवार से थे और उन्हें समाज में अपरिहार्य विभाजन का सामना करना पड़ा था। लेकिन उनकी मेहनत, जिज्ञासा और उत्कृष्टता ने उन्हें एक उच्च शिक्षा प्राप्त करने की संभावना दी। उन्होंने विद्यालय में अध्ययन किया, फिर विदेश गए और वहां से विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपनी शिक्षा में बहुत मेहनत की और अपने ज्ञान का विस्तार किया।

डॉ. अम्बेडकर की अहम योगदानों में से एक उनका योगदान भारतीय संविधान के निर्माण में है। उन्होंने संविधान(प्रारूप)समिति के अध्यक्ष के रूप में काम किया और भारतीय संविधान को अंतिम रूप दिया। उनके द्वारा संविधान में गरीबी की समाप्ति, सामाजिक समानता, धर्मनिरपेक्षता और मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए। इससे भारतीय समाज में व्यापक परिवर्तन हुआ और सभी वर्गों के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा हुई।


डॉ. अम्बेडकर का योगदान सिर्फ संविधान निर्माण में ही सीमित नहीं रहा। उन्होंने समाज में विभिन्न सुधार कार्य किए, जैसे कि दलितों के अधिकारों की रक्षा, उनकी शैक्षिक सामाजिक स्थिति में सुधार, और उनके समाज में समावेश की दिशा में काम किया। उनके द्वारा स्थापित की गई भारतीय बौद्ध संघ की स्थापना ने दलित समाज में एकता और सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया।


डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जीवनी भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत है। उनका समर्पण और योगदान हमेशा हमें याद रखने चाहिए और हमें उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलना चाहिए। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के बिना भारतीय समाज और संविधान की स्थिति अधूरी होती। उनके समर्पण को सम्मान और स्मरण का प्रमाण देने के लिए हमें हमेशा उन्हें याद करना चाहिए।


डॉ. भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा :

प्राथमिक शिक्षा :

 डॉ. अम्बेडकर का जन्म महू नामक स्थान पर हुआ था। उनका प्रारंभिक शिक्षा महू और सातारा में हुआ।

उच्च शिक्षा:

 डॉ. अम्बेडकर ने महाराष्ट्र के एलफ्रेड विश्वविद्यालय से बी.ए. की डिग्री हासिल की। उन्होंने फिर विदेश जाकर विभिन्न विश्वविद्यालयों से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की।


 स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा:

 डॉ. अम्बेडकर ने एम.ए., एम.एस.सी. और पीएचडी की डिग्री हासिल की। उन्होंने अपनी पीएचडी का कार्य लंदन विश्वविद्यालय से किया।

इस प्रकार, डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने शैक्षिक जीवन में कठिनाईयों का सामना किया और उच्च शिक्षा में अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता से सफलता प्राप्त की। उनकी शिक्षा ने उन्हें विशेषज्ञता और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता प्रदान की।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर का संघर्ष उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। उनका संघर्ष तीन मुख्य क्षेत्रों में था: 

दलितों के अधिकारों की लड़ाई :

 डॉ. अम्बेडकर ने दलितों के अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से संघर्ष किया। उन्होंने उन्हें समाज में समानता की दिशा में ले जाने के लिए आंदोलन चलाए और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कानूनी कदम उठाए।


हिंदू समाज में समावेश की लड़ाई :

 उन्होंने हिंदू समाज में दलितों के समावेश के लिए संघर्ष किया। उन्होंने ब्राह्मणिक वाम के खिलाफ आंदोलन चलाया और उन्हें समाज में स्थान दिलाने के लिए प्रयास किया।

सामाजिक एवं धार्मिक सुधार :

 उन्होंने समाज में विभिन्न सुधार कार्य किए जैसे कि अंत्योदय आंदोलन, धार्मिक सुधार आंदोलन, और महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की लड़ाई।

उनका संघर्ष न केवल दलितों के अधिकारों के लिए था, बल्कि समाज में समानता, न्याय और सामाजिक समरसता की दिशा में भी था। उन्होंने अपने जीवन में अनेक चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उनकी अदम्य मेहनत, निरंतर संघर्ष और समर्पण ने उन्हें एक महान नेता बनाया।


डॉ. भीमराव अम्बेडकर का राजनीतिक करियर भी उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण अध्याय था। उनकी राजनीतिक यात्रा में कुछ महत्वपूर्ण मोमेंट्स थे :

Dr.b r Ambedkar


दलीत प्रजा महासभा :

 डॉ. अम्बेडकर ने दलित प्रजा महासभा की स्थापना की, जिसका उद्देश्य दलितों के हित में राजनीतिक और सामाजिक सुधार करना था। इस महासभा के माध्यम से उन्होंने दलितों के मुद्दों पर चर्चा की और उनके अधिकारों की रक्षा की।


राजनीतिक पार्टी की स्थापना : 

डॉ. अम्बेडकर ने भारतीय संघ को बनाया, जो दलितों के हित में राजनीतिक एवं सामाजिक कार्य करती थी। इसके माध्यम से उन्होंने दलितों को राजनीतिक आवाज देने का माध्यम प्रदान किया।

भारतीय संविधान समिति :

डॉ. अम्बेडकर को संविधान समिति के अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने भारतीय संविधान का निर्माण किया, जिसमें समाज के सभी वर्गों के अधिकारों को समाहित किया गया।

राजनीतिक प्रतियोगिता : 

डॉ. अम्बेडकर ने राजनीतिक दलों में भाग लिया और उनकी राजनीतिक योग्यता को प्रमोट किया। उन्होंने विभिन्न स्तरों पर अपनी देशभक्ति और समाज सेवा की भावना दिखाई।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर का राजनीतिक करियर दलितों के हक की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण योगदान था, जिसने उन्हें समाज में समानता और न्याय की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रदान किया।


डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं, जो समाज, धर्म, राजनीति और विचार के विभिन्न पहलुओं पर आधारित थीं। उनमें से कुछ प्रमुख पुस्तकें निम्नलिखित हैं :


आनंद तो नहीं : यह पुस्तक डॉ. अम्बेडकर की आत्मकथा है जो उनके बचपन से लेकर उनके राजनीतिक योगदान तक की कहानी को विस्तार से वर्णित करती है।

अन्निहिलेशन ऑफ कास्ट : इस पुस्तक में डॉ. अम्बेडकर ने कास्ट प्रथा और दलितों के हक की लड़ाई पर अपने विचार और समाधानों को प्रस्तुत किया है।

बुद्ध और उसका धर्म : यह पुस्तक डॉ. अम्बेडकर के बौद्ध धर्म के प्रति उनके गहरे और समर्पित आदर्शों को वर्णित करती है।

थैट फेलीशीज्ड हूमन बॉम्स : इस पुस्तक में डॉ. अम्बेडकर ने मानवाधिकारों, समाजिक न्याय, और धर्म के महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार प्रकट किए हैं।

राणी राज्यमाता : यह पुस्तक डॉ. अम्बेडकर की राजनीतिक यात्रा और उनके समाज सेवा के कार्यों पर आधारित है।

यह पुस्तकें डॉ. अम्बेडकर के विचारों, योगदानों, और उनके समाज में समानता और न्याय की प्रेरणा को समझने में मदद करती हैं।

डॉ. भीमराव अम्बेडकरजी के आखिरी पलों के बारे में, उनकी प्राथमिकता और दृढ़ संकल्प ने अविश्वासी को भी प्रेरित किया। जब वे स्वास्थ्य के कारण कमजोर होने लगे, तो भी उन्होंने निरंतर अपने उद्देश्यों को पूरा करने का संकल्प बनाए रखा। उनके आखिरी क्षणों में, उनकी दृढ़ता और स्वास्थ्य की कमी के बावजूद भी, उन्होंने अपने सिद्धांतों और मिशन के प्रति अपूर्व समर्पण दिखाया। उनकी महानता और आत्म-बल की भावना आज भी हमें प्रेरित करती है।

Comments

Popular posts from this blog

भगत सिंह: स्वतंत्रता संग्राम का अमर नायक।

एमेज़ॉन : ई-कॉमर्स जगत का शास्र ग्रंथ।

कनाडा में नौकरियां: विभिन्न अवसर (Canada: jobs Opportunities)